भगवान् बुद्ध एक ईश्वरीय अवतार है|
हिंदू धर्म में भगवान बुद्ध को विष्णुजी का अवतार माना जाता है | भगवान् बुद्ध भारत में आध्यात्मिक गौरव के प्रतीक है उन्होंने मानवता को नवजीवन का वरदान दिया | उन्होंने जो शिक्षाएँ दी है वे जबतक मानव का अस्तित्व है अमर रहेंगी | भगवान् बुद्ध प्रेम और करुणा के सागर है |
बुद्ध पूर्णिमा कब मनाते है?
बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को बहुत है श्रद्धा पूर्वक मनाया जाता है | हिंदू और बौद्ध धर्म के अनुयायी बहुत ही श्रद्धा भाव से बुद्ध पूर्णिमा त्यौहार मनाते हैं। संजोग से गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण वैशाख पूर्णिमा के पावन दिवस को हुई थी |
भगवान् बुद्ध को तथागत भी कहा जाता है |
संसार के अनेक देशो में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार फैला है | श्रीलंका, जापान, कम्बोडिया, चीन, कोरिया, मंगोलिया, म्यांमार आदि देशो में बौद्ध धर्म अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार मनाते है |
भगवान् बुद्ध का जन्म कहाँ हुआ?
भगवान् बुद्ध का जन्म वर्तमान नेपाल में कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी नामक स्थान पर सम्राट शुद्धोधन और माया देवी के यहाँ जन्म हुआ | भगवान् बुद्ध का जन्म नाम सिद्धार्थ था | बचपन से ही सिद्धार्थ का झुकाव विवेक और ज्ञान वैराग्य की ओर था | सांसारिक सुख-सुविधाओं में उन्हें रूचि नहीं थी |
भगवान् बुद्ध की जीवन कथा-
भगवान् बुद्ध ( सिद्धार्थ-जन्म नाम ) सांसारिक जीवन में प्राप्त सभी साधन-सुविधाओं को छोड़कर जीवन के शाश्वत सत्य की खोज में निकल पड़े | उन्होंने जीवन के शाश्वत सत्य की खोज के लिये सुख-सुविधा की राह छोड़कर सन्यासी का वेश धारण करके ज्ञान प्राप्त किया |
सिद्धार्थ ने सात वर्ष तक घोर तप, साधना त्याग करके परम सत्य का ज्ञान प्राप्त किया | देव चेतना का दिव्य स्पर्श उन्हें तप द्वारा मिला | बिहार प्रान्त के बोधगया में बौधि वृक्ष आज भी अपूर्व व अलौकिक क्षण का साक्षी है |
बोधगया की युवती सुजाता ने उनके चेहरे पर अलौकिक आभा को देखकर उन्हें ‘बुद्ध’ कहकर सम्बोधित किया तभी से वे भगवान बुद्ध कहलाये | उन्होंने अपना पहला उपदेश वाराणसी के पास सारनाथ में दिया | भगवान् बुद्ध ने मानवता को श्रेष्ठ पथ पर चलते की राह दिखाई |
भगवान् बुद्ध दुनिया के पहले ऐसे गुरु थे जिन्हे उनके मार्गदर्शकों ने गुरु रूप में स्वीकार किया तथागत जो अजर-अमर है की उपाधि उन्हें उनके शिष्यों ने दी | भगवान् बुद्ध के पुत्र राहुल ने भी बौद्ध धर्म का अनुसरण किया और धर्म प्रचार किया | पूरे विश्व में उनके अनुयायी फैले है |
भगवान् बुद्ध का प्रसिद्ध मंत्र-
बुद्धं शरणं गच्छामि ! धम्मं शरणं गच्छामि !! संघं शरणं गच्छामि !!!
बुद्ध ने अपने जीवन में अंतिम व महत्वपूर्ण वचन कहा था –
‘अप्प दीपो भव’ अर्थात अपने दीपक स्वयं बनो, खुद को तलाशो, खुद को जाने और प्रकाशित हो |
भगवान् बुद्ध ने पंचशील के सिद्धांत का प्रतिपादन –
- अहिंसा
- चोरी न करना
- वासना से मुक्ति
- झूठ का परित्याग
- व्यसनों से बचाव
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गौतम बुद्ध ने मनुष्य के बहुत से दुखों का कारण उसके स्वयं का अज्ञान और मिथ्या दृष्टि बताया है। इच्छाओं से छुटकारा पाने पर ही मनुष्य के दर्द व दुखों का अंत हो सकता है।
भगवान् बुद्ध की शिक्षाओं से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि मन को नियंत्रित करने पर ही सच्ची ख़ुशी और मन को शांति मिलती है |
ज्ञान और सद्गुण प्राप्त करने के लिये अनुशासित होकर मनुष्य आत्मज्ञान का मार्ग खोज सकता सकता है |
महात्मा बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग को सीढ़ी रूप में बताया है –
- सम्यक दृष्टि
- सम्यक संकल्प
- सम्यक वाक
- सम्यक कर्मान्त
- सम्यक आजीविका
- सम्यक व्यायाम
- सम्यक स्मृति
- सम्यक समाधि
सम्यक का अर्थ होता है – सही, संतुलित, उचित, ठीक |
कुशीनगर में भगवान् बुद्ध को महापरिनिर्वाण ( मोक्ष की प्राप्ति ) हुई |
बौद्ध विहार और बौद्ध मठों में उनके अनुयायी शिक्षा का प्रसार और अनुकरण करते है |
भगवान् बुद्ध ने पूरी दुनिया को अपनी शिक्षाओं के द्वारा नई रौशनी दी | दुनिया को सत्य और सच्ची मानवता का पाठ पढ़ाया |
बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर हमें भगवान् बुद्ध के बताये गए मार्ग पर चलकर जीवन को सार्थक बनाना चाहिए |
बुद्ध को गौतम बुद्ध क्यों कहते है ?
गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण बुद्ध को गौतम बुद्ध भी कहा जाता है |
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