भारतीय परंपरा में प्रत्येक मंत्र का शुभारंभ ॐ (ओंकार) शब्द से होता है | यह स्वयं में एकाक्षरी मंत्र है | इसी से सारे मंत्र प्रस्फुटित हुए है | ओंकार शब्द को शब्दब्रह्म और नादब्रह्म भी कहा जाता है | यह ब्रह्म का प्रतीक है |
ॐ एक संस्कृत शब्द और प्राचीन मंत्र है जिसका प्रयोग हिन्दू और बौद्ध धर्म में किया जाता है | ओम् ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, इसलिए इसका जप करके, हम प्रतीकात्मक और शारीरिक रूप से प्रकृति और अन्य सभी जीवित प्राणियों के साथ अपने संबंध को स्वीकार कर रहे हैं।
उपनिषदों के अनुसार ओंकार मंत्र का उच्चारण करने पर दिव्य ज्ञान की ज्योति का प्रादुर्भाव होता है | अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारो पुरुषार्थ सिद्ध होते है |
ॐ (ओंकार) मंत्र की यह विशेषता है कि इसे पवित्र, अपवित्र किसी भी स्थिति में जपा जा सकता है| परमतत्व का चिंतन और मनन करके अपने आत्म स्वरुप का ध्यान कर सकता है|
ॐ (ओंकार) जिसका स्वरुप अनादि और अनंत है यह सृष्टि में गुंजायमान ध्वनि है | इसे अनाहद ध्वनि भी कहते है | ॐ मंत्र तीन अक्षर- अ, उ, म से मिलकर बना है जो जीवन की तीन अवस्थाओं का प्रतीक हो | इसे परमात्मा का सत-चित-आनंद रूप भी कह सकते है |
महर्षि वेदव्यास जी ने इस मंत्र को सारे मंत्र का सेतु कहा है | बौद्ध धर्म में भी ओंकार मंत्र प्रचलित है | जैन धर्म णमोकार महामंत्र ओंकार से ही शुरू होता है|
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गायत्री मंत्र में भी ओंकार शब्द का प्रयोग सर्व प्रथम किया जाता है |
सिखों के प्रथम गुरु नानक जी ने भी बताया है कि एक ओंकार ही सत्य नाम है |
ॐ एक मंत्र या कंपन और एक ध्यान अभ्यास है जो आपके चिंतित मन और थके हुए शरीर को शांत कर सकता है। ॐ एक संस्कृत शब्द और प्राचीन मंत्र है जिसका प्रयोग अक्सर अन्य धर्मों के बीच हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की प्रथाओं में किया जाता है। इसे कभी-कभी योग सत्र की शुरुआत में और अंत में तीन बार जप किया जाता है। इसे ओम भी लिखा जा सकता है।
हम ॐ का जप क्यों करते हैं?
हमारे चारों ओर सब कुछ स्पंदित और कंपन कर रहा है | कहा जाये तो वास्तव में कुछ भी स्थिर नहीं है। ध्वनि ओम, जब जप किया जाता है, तो 432 हर्ट्ज की आवृत्ति पर कंपन होता है, जो कि प्रकृति में हर चीज में पाई जाने वाली समान कंपन आवृत्ति है। जैसे, ओम् ब्रह्मांड की मूल ध्वनि है, इसलिए इसका जप करके, हम प्रतीकात्मक और शारीरिक रूप से प्रकृति और अन्य सभी जीवित प्राणियों के साथ अपने संबंध को स्वीकार कर रहे हैं।
शारीरिक रूप से, नामजप का कार्य भी शरीर को आराम दे सकता है, तंत्रिका तंत्र को धीमा कर सकता है और मन को शांत कर सकता है। अंत में, ओम् का जप एक अभ्यास को खोलने और बंद करने का एक तरीका है – इसे अपने शेष दिन से चित्रित करना और इसे एक विशेष समय के रूप में नामित करना जिसमें हम अपनी देखभाल करते हैं और सचेत रहने का अभ्यास करते हैं।
कुल मिलाकर, ओम् की साधना आपको परमात्मा से गहरे तरीके से जोड़ने में मदद कर सकती है।
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ॐ की शक्ति क्या है?
हिंदू परंपरा में, ओम की ध्वनि को पूरे ब्रह्मांड को समाहित करने के लिए कहा जाता है। यह समय की शुरुआत से पहली ध्वनि है और इसमें वर्तमान और भविष्य भी शामिल है। जैसे, इसके महत्व और शक्ति को बढ़ा-चढ़ाकर बताना मुश्किल है। चक्र प्रणाली में, यह आज्ञा चक्र, तीसरी आंख से जुड़ा है, जो अंतर्ज्ञान और आत्म-ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।
ओम भी एक बीज शब्दांश है जिसका उपयोग ध्यान के दौरान कई अन्य मंत्रों के निर्माण खंड के रूप में किया जाता है। उदाहरण के लिए ओम नमः शिवाय का अर्थ है मैं अपने भीतर देवत्व का सम्मान करता हूं। ओम शांति का अर्थ है शांति आपके साथ हो और यह अलविदा कहने का एक विकल्प है।
ॐ जप के लाभ क्या है?
ॐ का जप करने से शरीर और मन को सक्रिय करता है। जब सही ढंग से जप किया जाता है, तो यह शरीर को बहुत सारी सकारात्मकता, शांति और ऊर्जा से भर देता है। ॐ जप को सामूहिक चेतना का अभ्यास माना जा सकता है।
ॐ का जप आपको भगवान के करीब लाता है।
ॐ जप के लाभ निम्नलिखित है –
- ॐ का शरीर के चक्रों से संबंध है। ॐ का जप शरीर में सक्रियता पैदा करता है, सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव होता है | तनाव और अवसाद को दूर करने में मदद करता है | ॐ का जप करने पर अनिंद्रा रोग दूर होता है, गहरी नींद आती है जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है |
- ओंकार मंत्र के जप से ह्रदय रोग में भी सुधर होता है, मन में सकारात्मक भाव जाग्रत होने से कई बीमारियों में लाभ पहुँचता है |
- ॐ का उच्चारण करने से आसपास के वातावरण में व्याप्त नकारात्मकता पर काबू पाने वाले पवित्र स्पंदन पैदा होते हैं।
- हमारी भारतीय हिन्दू संस्कृति में ओंकार शब्द की महिमा का वर्णन ऋषि-मुनियो द्वारा बहुत ही पुराने समय से किया गया है | ओंकार शब्द का जप एक दिव्य प्रभावशाली मंत्र है जो हमें आध्यात्मिक शक्ति के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक रूप से भी सबल बनाता है |
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