भारतीय हिन्दू संस्कृति एकमात्र ऐसी संस्कृति है जो मनुष्य को सच्चा व श्रेष्ठ बनाने की भावना व क्षमता से ओतप्रोत है | भारतीय संस्कृति अपने सार्वभौम स्वरुप शाश्वत मूल्यों के आधार पर विश्व संस्कृति में अपना अमूल्य योगदान दे सकती है | भारतीय संस्कृति का मूल उसकी बौद्धिक एवं रचनात्मक क्षमता है |
भारतीय संस्कृति के बारे में जर्मन विद्वान मेक्समूलर कहते है – “हिन्दू संस्कृति में मानव मस्तिष्क को अपनी सूक्ष्मतम शक्तियों के विकास की क्षमता है|” यह आध्यात्मिक अंतर्मुखी, धार्मिक, दार्शनिक संस्कृति है | विश्व ने भी भारतीय संस्कृति की सर्वोच्च श्रेष्ठता को सहज रूप से स्वीकार किया है |
भारतीय हिन्दू संस्कृति विश्व की प्राचीन और विशाल संस्कृति है |
विविधता में एकता, उदारता सहिष्णुता, कर्मफल सिद्धांत जिनका भगवतगीता में उल्लेख है मोक्ष का साधन धर्मयुक्त कर्म और सर्वांगीण विकास है |
संस्कृति क्या है?
संस्कृति का अर्थ वह कृति जो संस्कार संपन्न हो | मानव को सुसंस्कृत बनाने का विज्ञान, विधान ही संस्कृति कहलाती है | संस्कृति मानव जीवन के लिए प्रेरणादायी शक्ति है | संस्कृति में शास्त्र, दर्शन का चिंतन, साहित्य, और ललितकलाओं का समावेश है | संस्कृति मनुष्य का आध्यात्मिक, शारीरिक विकास करके राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करती है |
आचार, विचार, संस्कार का दूसरा नाम ही संस्कृति है |
भारतीय हिन्दू संस्कृति विश्व संस्कृति के रूप में अपनी भूमिकाएँ निभा सकती है | इसमें निहित श्रेष्ठ मान्यताएँ और सिद्धांत युगानुकूल है |
भारतीय हिन्दू संस्कृति के सिद्धांतो का निर्धारण पुरातन ऋषि-मुनियो ने अपनी बहुमूल्य मानवीय कायारूपी प्रयोगशाला में सत्यापित करके किया |
भारतीय हिन्दू संस्कृति की शाश्वत परम्पराएँ विशेष उद्देश्यों और सर्वकल्याण की भावना को ध्यान में रखकर बनाई गई है |
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सनातन मूल्य भारतीय हिन्दू संस्कृति की प्रमुख विशेषता जो समग्र देश को एक सूत्र में बांधे रखती है चाहे शांति का समय हो या अशांति का | सांस्कृतिक एकता हमारी संस्कृति की विशेष पहचान है |
भारतीय हिन्दू संस्कृति में धर्म की अवधारणा सृजनात्मक रही है | महर्षि वेदव्यास ने बताया जो व्यक्ति समाज, जनसामान्य धारण करे वह धर्म है | हिन्दू धर्म में मानव जीवन को अनुशासित व कर्तव्य पथ पर चलने का उचित मार्ग बताया है |
संस्कृति मनुष्य के आंतरिक गुणों व विशेषताओं से संबंधित होती है | ज्ञानपिपासा, करुणा, दान, सत्यनिष्ठा, पवित्रता, सहनशीलता, सेवा, त्याग, प्रकृतिप्रेम आदि सद्गुणों का परिचय हमें संस्कृति के द्वारा ही मिलता है |
हिन्दू संस्कृति एक माला के समान है जिसके मोती श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों से सराबोर है | यह जीवन के विकास की अवधारणा है |
भारतीय संस्कृति की अनमोल विशेषताएँ-
‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का अर्थ धरती ही परिवार है और ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ अर्थात सभी प्राणियों को अपने समान समझना। भारतीय संस्कृति में निहित इन्ही विलक्षण गुणों के कारण विश्व की श्रेष्ठ संस्कृति कहलाती है |
भारतीय हिन्दू संस्कृति की सच्ची पहचान गायत्री, गंगा, गीता और गौमाता है | हिन्दू संस्कृति में गायत्री माता, गंगा नदी, गीता जैसे महाग्रन्थ और गौमाता ( गाय ) को भी पवित्र और पूजनीय माना है |
भारतीय हिन्दू संस्कृति मनुष्य का आध्यात्मिक, शारीरिक, मानसिक विकास करके राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करती है |
भारतीय हिन्दू संस्कृति समन्वयकारी संस्कृति है | हमारी सभ्यता और संस्कृति का आधार आध्यात्मिक है | हिन्दू संस्कृति की श्रेष्ठा मान्यताए और सिद्धांत युगानुकूल है जो मनुष्य को देवत्व की और ले जाते है |
हिन्दू संस्कृति विश्व बंधत्व की भावना से प्रेरित है – “सर्वे भवन्ति सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया |”
विविधता में एकता – हमारे विशाल देश में विभिन्न, धर्म, जाति वर्ग के लोग रहते है लेकिन सभी में समन्वय, सौहार्द, एकता की भावना रहती है | भारत को एक मजबूत राष्ट्र बनाने में हमारी प्राचीन हिन्दू भारतीय संस्कृति का महान योगदान रहा है |
सहनशीलता (सहिष्णुता) हमारा जीवन मूल्य है| सहिष्णुता भारतीय संस्कृति की महान विरासत है | आपसी प्रेम, भाईचारा व शांति का सन्देश हमारी संस्कृति प्रदान करती है |
हिन्दू संस्कृति में जीवन के विकास की श्रेष्ठ अवधारणा है | समाज में सभी का विकास कैसे हो, समरसता कैसे रहे यह हमारी संस्कृति सिखाती है | भारतीय संस्कृति में मनुष्य को देवत्व की ओर ले जाने की विशेष क्षमता है |
प्राचीन ऋषि-मुनियो और वेदो, उपनिषदों में जो जीवन मूल्य बताए है सही मार्ग पर चलकर हम अपनी दिव्य अनुपम संस्कृति को विकसित और सुदृढ़ करे |
वर्तमान समय में हमारा महत्वपूर्ण दायित्व है कि हिन्दू संस्कृति की प्राचीन और पुनीत श्रेष्ठ परम्पराओ को जीवित रखे और उनका सम्मान करे |
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