लोहड़ी पर्व मनाने के कारण | Know all about Lohri Festival
Published on: January 14, 2023

लोहड़ी भारत देश के विभिन्न क्षेत्रो में मनाये जाने वाला एक समृद्ध त्यौहार है | उत्तर भारत विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, और जम्मू कश्मीर में फसल कटाई उत्सव के रूप में मनाये जाने वाला पर्व है | 

लोहड़ी का त्यौहार को मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व पौष मास की अंतिम रात्रि को बड़ी धूमधाम से उत्साह पूर्वक मनाया जाता है | इसे दक्षिण भारत में पोंगल, असम में बिहू, उत्तर भारत में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है | 

लोहड़ी का त्यौहार शीत ऋतु की बिदाई और ग्रीष्म ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है | इस त्यौहार को मनाने के बाद से दिन लम्बे और गर्मी का एहसास होता है | 

Happy Lohri_ Hindu Sanskriti

भारत एक कृषि प्रधान देश है | किसानों के कठिन परिश्रम से प्राप्त नई फसल आने पर यह त्यौहार उमंग और उल्लास के साथ मनाया जाता है | यह किसानो के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का त्यौहार है क्योंकि अनाज पर ही मानव जीवन निर्भर है | 

कृषक समुदाय ख़ुशी का उत्सव मानते हुए भगवान् सूर्यदेव को नमन करके कृतज्ञता प्रकट करता है कि उनकी फसल पर्याप्त मात्रा में हुई | 

लोहड़ी पर्व के पूर्व बच्चे लकड़ियाँ और अन्य सामग्रियाँ एकत्र करते है | लोहड़ी के दिन सभी पंजाबी समाज के लोग अलाव जलाकर धूमधाम से नृत्य करते है तिल से बने पकवान प्रसाद के रूप में खाते है | मक्के की रोटी और सरसो के साग का सेवन सामूहिक रूप से करते है | 

लोहड़ी पर्व_ Hindu Sanskriti

यह त्यौहार प्रेम, सद्भावना, आपसी सहयोग, भाईचारा की भावना को बढ़ाता है | 

लोहड़ी कैसे मनाते है?

लोहड़ी का त्यौहार लकड़ियाँ जलाकर ( अलाव ) परंपरागत रूप से सभी लोग उसके आसपास एकत्र होते है | यह लोहड़ी पर्व का प्रमुख आकर्षक है | अलाव की परिक्रमा करते हुई इस दिन पंजाबी लोक गीत गाते और नृत्य करते है | पंजाबी संस्कृति का परिचय वह के सुन्दर रंग बिरंगे परिधान और लोक संगीत से मिलता है | 

सर्दियों के अंत का प्रतीक लोहड़ी पर्व अलाव की परिक्रमा करते समय ऐसी मान्यता है कि अलाव की लपटे लोगो की मनोकामना और प्रार्थनाये देवता तक ले जाती है | यह एक उज्जवल और पवित्र दिन है | 

तिल और गुड़ से बने रेवड़ी, गजक, मूंगफली और अन्य मौसमी वस्तुओ का प्रसाद वितरित किया जाता है | सिंधी समाज में लोहड़ी पर्व लाल लोई और लोई तिलोड़ी के नाम से भी जाना जाता है जिसमे तिलों के द्वारा अग्नि का पूजन किया जाता है | 

Lohri Celebration_ Hindu Sanskriti

लोहड़ी पर्व मनाने के कारण 

यह त्यौहार सिंधु घाटी की सभ्यता के समय से चला आ रहा है | पुरानी मान्यताओं के अनुसार लोहड़ी होलिका की बहन थी जो होलिका के संग आग से बच गई और होलिका जल गई | तब से लोहड़ी पर्व मनाया जाता है | 

 कृष्ण का वध करने के लिए नन्दगांव में कंस ने लोहिता नाम की राक्षसी भेजी थी जिसे भगवान् कृष्ण ने समाप्त कर दिया था इस कारण इस दिन लोहड़ी त्यौहार मनाया जाता है |

सम्राट अकबर के शासन काल में दुल्लाभाटी जो जनजाति के शासक थे उन्हें मुगलो के खिलाफ विद्रोह करने पर मार दिया गया | वह जनता में बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि वह अमीरो को लूटकर गरीबों की सहायता करते थे | 

लोहड़ी के दिन दुल्लाभाटी ने मुगलो से एक लड़की को बचा कर उनका विवाह हिन्दू से करवा दिया इसलिए यह त्यौहार नवविवाहितों के लिए भी विशेष महत्त्व रखता है | 

पंजाबी समाज के लोग जोशीले, ऊर्जावान और उत्सव प्रेमी होते है | लोहड़ी पर्व को नया साल मानते है |  गन्ने की फसल की कटाई होती है और नई फसल की पूजा होती है | सूर्य देवता और अग्नि देव को प्रसन्न करके सुख समृद्धि की कामना की जाती है | तिल और गुड़ से बने व्यंजन आपस में वितरित किये जाते है | 

लोहड़ी पर्व मनाने के कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ है मन में प्रसन्नता आती है, शरीर सूर्य की तेजस्वी किरणों से शक्तिशाली तथा निरोगी होता है | 

यह पर्व खुशियों से भरपूर आरोग्यता प्रदान करने वाला जीवन को सकारात्मकता देने वाला महत्वपूर्ण त्यौहार है | 

लोहड़ी पर्व आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण पर्व है और सामाजिक रूप से हर्ष-उल्लास से मनाया जाने वाला त्यौहार है |