सूर्य नमस्कार क्या है?
सूर्य नमस्कार का मतलब है सूर्य को नमन करना सन सेल्यूटेशन (Sun Salutation)। अगर आप योग की शुरुआत कर रहे हैं तो इसके लिए सूर्य नमस्कार का अभ्यास सबसे बेहतर होता है। यह आपको एक साथ 12 ( बारह ) योगासनों का लाभ देता है इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा गया है।
सूर्य नमस्कार बारह शक्तिशाली योग का एक क्रम है जिसे करने से कार्डियोवेस्कुलर कसरत होती है | सूर्य नमस्कार करने से हमारे शरीर और दिमाग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |
खाली पेट सूर्य नमस्कार के चरणों ( Steps ) का अभ्यास करना सबसे अच्छा होता है | सूर्य नमस्कार में बारह मुद्राएं होती है |
सूर्य नमस्कार स्वयं ही एक योग अभ्यास है |
सूर्य नमस्कार हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है | ये हमारे जीवन को स्वस्थ बनाये रखने के लिए सूर्य देवता का आभार है |
सूर्य नमस्कार प्रातः काल करने पर सूर्य के प्रकाश से दिव्य लाभों को प्राप्त किया जा सकता है | इसे प्रशिक्षित योग आचार्य से सीख कर सावधानी पूर्वक करना चाहिए तभी आपको उचित लाभ मिल पाएंगे | प्रति वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। सूर्यनमस्कार योग के अभ्यास की आदत संपूर्ण मानव समाज के लिए लाभप्रद है |
सूर्य नमस्कार करने के क्या उद्देश्य है ?
सूर्योदय की किरणों में आसन करना बहुत सुन्दर और लुभावना होता है सूर्य नमस्कार में बारह चरण शामिल होते है जो कई तरह से हमारे शरीर और मन को लाभ पहुँचाते है |
सूर्य नमस्कार की क्रिया शरीर को लचीला एवं मजबूत बनाने में सहायक है | ये सभी मांसपेशियों को मजबूत करता है, लम्बा करता है और मांसपेशी समूहों को फैलाता भी है | सूर्य नमस्कार करने से हमारी जीवन शक्ति ऊर्जा उत्तेजित होती है जो हमारे शारीरिक और मानसिक इद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है |
सूर्य नमस्कार भारतीय संस्कृति की अमूल्य देन है | हमारे ऋषि मुनि प्राचीन काल से सूर्य नमस्कार योगाभ्यास का महत्त्व बताते आए है | हमें प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करके सभी लाभों को प्राप्त करना चाहिए |
संसार को सूर्य की शक्तिशाली ऊर्जा से जीवन मिला उसी प्रकार सूर्य नमस्कार के अभ्यास से प्राप्त ऊष्मा शरीर को ऊर्जा देती है | सूर्य नमस्कार के माध्यम से तेजोमय सूर्य को मंत्रोच्चारण के साथ नमन किया जाता है |
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सूर्य नमस्कार कैसे करते है?
आप जब सूर्य नमस्कार करते है तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने शरीर की गतिविधियों को अपनी सांसो के साथ तालमेल बिठाये | जब आप यह सीख जाते है है तो आप अपने शरीर को प्रवाह में ले जाना सीखते है और आपके साँस और दिमाग नियंत्रित हो जाते है | सूर्य नमस्कार को तीन गति से किया जा सकता है – धीमी, तेज और माध्यम गति से |
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सूर्य नमस्कार चरणों का पालन इस प्रकार करे –
प्रणामासन (Pranamasana)-
जब आप यह आसान करते है तो आप अपनी चटाई के किनारे खड़े हो जाये और अपने पैरो को एक साथ रखे, दोनों पैरो पर अपने वजन को सामान रूप से संतुलित करे | अपनी छाती को चौड़ी करे तथा अपने कंधो को आराम दे | जैसे आप सांस लेते है वैसे ही दोनों हाथो को दोनों तरफ से ऊपर उठाये और जैसे आप सांस छोड़ते है अपनी हथेलियों को छाती के सामने प्रार्थना की स्थिति में लाएं|
हस्तोत्तनासन (Hastauttanasana)-
साँस लेते समय अपने बाइसेप्स ( biceps ) को कानो के पास रखते हुए बाजुओं को ऊपर और पीछे की तरफ से उठाये | इस प्रकार की मुद्रा में एड़ी से लेकर उंगलियों तक को फैलाने का प्रयास किया जाता है |
हस्तपादासन (Hastapadasana)-
इस आसान के दौरान आप साँस छोड़ते हुए रीढ़ को सीधा रखते हुए अपनी कमर से आगे की ओर झुके | आप जैसे पूरी तरह से सांस छोड़ते है अपने हाथो को पैरो के पास में फर्श पर ले आए |
अश्व संचलनसान (Ashwa Sanchalanasana)-
इस आसान के दौरान साँस लेते हुए जितना हो सके उतना अपने दाहिने पैर को पीछे की ओर धकेले और दाहिने घुटने को फर्श की ओर लाए ओर ऊपर की तरफ देखे |
दण्डासन (Dandasana)-
इस आसन में साँस को अंदर ले और बाएं पैर को पीछे की ओर ले जाये और अपने पूरे शरीर को सीध में लाए |
अष्टांग नमस्कार (Ashtanga Namaskara)-
अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें. पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं |
भुजंगासन (Bhujangasana)-
कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं. गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं |
अधोमुख शवासन (Adho Mukha Svanasana)-
इस मुद्रा में साँस छोड़ते हुए कूल्हों और तलवों को उठाकर अपने शरीर को उलटे वी ( V ) मुद्रा में लाना है |
अश्व संचलनसाना (Ashwa Sanchalanasana)-
अब एक बार फिर से अश्व संचालासन की मुद्रा में आएं, लेकिन ध्यान रहें अबकी बार बांये पैर को आगे की ओर रखें |
हस्तपादासन (Hastapadasana)-
इस आसन में बाएँ पैर को आगे की ओर लाए | हथेलियों को फर्श पर रखे | अगर जरुरी हो तो घुटना मोड़ सकते हो |
हस्तोत्तानासन (Hastauttanasana)-
इस मुद्रा में साँस अंदर लेते हुए रीढ़ को ऊपर की ओर मोड़े | हाथो को ऊपर उठाए ओर कूल्हों को थोड़ा बाहर की ओर धकेलते हुए थोड़ा पीछे की ओर झुके |
ताड़ासन (Tadasana)-
इस आसन के दौरान जैसे आप साँस छोड़ते है पहले अपने शरीर को सीधा करे ओर फिर बाजुओं को नीचे लाए | इस स्थिति में आराम करे और अपने शरीर में संवेदनाओ का निरीक्षण करे |
सूर्य नमस्कार करने के कौन-कौन से लाभ है ?
सूर्य नमस्कार करने के कई शारीरिक और मानसिक स्वास्थय लाभ है |
शारीरिक स्वास्थ्य लाभ
जैसे की आप जानते है सूर्य नमस्कार का अभ्यास दिन के किसी भी समय किया जा सकता है परन्तु सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार का अभ्यास करना सबसे अच्छा होता है सूर्य की किरणे जो हमारे शरीर पर पड़ती है इससे स्फूर्ति, चेतना, नये उत्साह का उदय होता है |
सूर्य नमस्कार को तीन गति से किया जा सकता है – धीमी, तेज और मध्यम गति से | धीमी गति हमारे शरीर के लचीलेपन को बढ़ाने में मदद कर सकती है माध्यम गति हमारी माशपेशियों की टोनिंग में मदद करती है और तेज गति से किया गया सूर्य नमस्कार हमारे ह्रदय के लिए लाभकारी है |
सूर्य नमस्कार करने से हमारे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार और यह ह्रदय को ताकतवर करने में मदद करता है | सूर्य नमस्कार तालबद्ध श्वास प्रक्रिया को उत्तेजित करता है, फेफड़ो को ज्यादा मजबूत करता है |
सूर्य नमस्कार आपके पाचन तंत्र और शरीर की अन्य प्रणालियों के लिए फायदेमंद होता है यह हमारे शरीर के अंगो के साथ सीधा संपर्क करता है | प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने पर शरीर सुडौल होता है और मोटापा घटता है | सूर्य नमस्कार के आसन से पूरे शरीर का व्यायाम होता है |
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मानसिक स्वास्थ्य लाभ
सूर्य नमस्कार करने से हमें कई मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिलते है |
- सूर्य नमस्कार के लगातार करने से ध्यान को केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है|
- हमारा आत्मविश्वास जाग्रत होता है |
- यह हमारे तंत्रिका तंत्र को शांत रखता है |
- सूर्य नमस्कार का लगातार अभ्यास करने से चिंता, तनाव और अनिद्रा दूर होती है |
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