हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा का प्रतीक तोरण | The Reason Behind Toran
Published on: May 15, 2023
तोरण_Hindusanskriti

भारत एक संस्कृति प्रधान देश है| तोरण शुद्धता, पवित्रता का प्रतीक है, इसे वंदनवार भी कहा जाता है| तोरण संस्कृत भाषा से लिया गया शब्द है जिसका अर्थ प्रवेश द्वार है| इसे तमिल में तोरणम भी कहा जाता है| बौद्ध ग्रंथों के अनुसार इसे पवित्र द्वार या प्रवेश द्वार कहा जाता है| 

हमारी हिन्दू धर्म में शुभ मांगलिक उत्सव, धार्मिक कार्यो में घर के मुख्य द्वार और मंदिरों में तोरण लगाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है| 

तोरण को शुभ, सम्पन्नता का प्रतीक माना जाता है| यह प्रायः पीले गेंदे के फूलो, आम के पत्तो और अशोक वृक्ष के पत्तो से बनाये जाते है| 

पीले गेंदे के फूल का संबंध बृहस्पति गृह से होता है जो पवित्रता का प्रतीक है| गेंदे के फूलो को सूर्य देवता का प्रतीक भी माना जाता है| गेंदे के फूलो में जो सुगंध होती है उससे कीड़े, मच्छर आदि घर में प्रवेश नहीं करते है| 

हरे आम के पत्ते शुभ-मंगलता का प्रतीक है| हरे आम से पत्तो से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती है| यह हरियाली और खुशहाली का प्रतीक है| 

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तोरण लगाने से घर की ऊर्जा संतुलित_Hindusanskriti

अशोक के पत्ते से बनी वंदनवार सुख-समृद्धि का प्रतीक है| अशोक का अर्थ होता है शोक रहित| इन्हे लगाने से श्री, यश, वैभव की प्राप्ति होती है| 

तोरण (वंदनवार) लगाने के कई फायदे है –

धार्मिक दृष्टि से घर के मुख्य द्वार पर तोरण लगाने से सकारात्मकता प्रवेश करती है| धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है|

स्वच्छ, सुशोभित, सुन्दर घर का मुख्य द्वार सभी को आकर्षित करता है| नकारात्मक, अदृश्य शक्तियाँ घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पाती और घर को बुरी नज़र से दूर रखती है|

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार घर पर लगी आम के पत्तो की तोरण लक्ष्मी जी को प्रसन्न करती है| बृहस्पति गृह अनुकूल होता है| विघ्न और बाधाओं से तोरण घर की रक्षा करता है| 

शास्त्रों में बताया गया है कि हर माह घर के दरवाजे पर आम के पत्तो से बना तोरण लगाना चाहिए| 

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वंदनवार_Hindusanskriti

वैज्ञानिक दृष्टि से भी वंदनवार लगाना वातावरण को शांत रखता है | जीवाणुरोधी आम के पत्ते व गेंदे के फूल घर के वातावरण को सुखद व स्वच्छ बनाते है|

वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार पर तोरण लगाने से घर की ऊर्जा संतुलित हो जाती है| 

विवाह संस्कार में भी तोरण रस्म निभाई जाती है और वर का स्वागत किया जाता है| 

पुरानी भारतीय परंपरा का शुभ प्रतीक तोरण आधुनिक समय में अपना स्वरुप बदलने लगा है| आजकल कई प्रकार के सजावटी मोती, धातु, सीप, कोड़ियो आदि से तोरण बनाये जाते है| कृत्रिम वस्तुओ से बने तोरण केवल सजावटी होते है इनका विशेष लाभ नहीं होता है| 

आर्थिक समृद्धि के लिए सम्पन्नता लाने के लिए सीप और कोड़ियो से बने तोरण लक्ष्मी जी को आकर्षित करते है | हमारी मंदिरों में भी तोरण विशेष रूप से लगाए जाते है| 

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विवाह संस्कार में भी तोरण _Hindusanskriti

तोरण घर में आये अतिथियों के स्वागत, सत्कार में भी लगाए जाते है| स्वच्छ और सुन्दर घर-द्वार सभी के मन को मोह लेता है| 

विभिन्न अवसरों पर आपके घर के प्रवेश द्वार पर तोरण या बंधनवार का उपयोग किया जा सकता है। यह उस जगह की सकारात्मकता को बढ़ाता है|

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