जानिए आरती के महत्व
आरती का अर्थ क्या है?
आरती शब्द संस्कृत भाषा के अरात्रिका से लिया गया है जिसका अर्थ प्रकाश को संदर्भित करना जो रात्रि या अँधेरे को दूर करता है | आरती एक हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान् के प्रति प्रेम, श्रद्धा, और कृतज्ञता को व्यक्त करती है |
शास्त्रों के अनुसार आरती का अर्थ है पूरी श्रद्धा के साथ परमात्मा की भक्ति में डूब जाना | आरती को नीराजन भी कहा जाता है | नीराजन का अर्थ होता है विशेष रूप से प्रकाशित करना यानी देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित करके हमारे व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें। जहाँ आरती होती है वहाँ का वातावरण पवित्र तथा शुद्ध हो जाता है |
हिंदू धर्म में भगवान की आरती करने का विशेष महत्व है | कोई भी पूजा बिना आरती के संपन्न ही नहीं मानी जाती है |
आरती कैसे की जाती है?
आरती में भगवान के साकार रूप की पूजा की जाती है | आरती हिन्दू पूजा-उपासना की एक विधि होती है। आरती दीपक की जलती हुई लौ या कपूर आदि सुगन्धित द्रव्य से की जाती है | आराध्य देव के सामने एक विशेष विधि से की जाती है। आरती घी या तेल के दीपक से की जाती है।
आरती एक प्रकार की पूजा-आराधना है | आरती भगवान् के महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानो में से एक है |
पूजा के दौरान, आरती हमेशा घंटा या घंटी, संगीत वाद्ययंत्र, गायन और ताली बजाने के साथ होती है। आरती के द्वारा भगवान के दिव्य गुणों का गुणगान किया जाता है | भक्त अपना प्रेम भाव प्रकट करता है |
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आरती की प्रथा कबसे चली आ रही है?
वैदिक काल से ही आरती की प्रथा चलती आ रही है | आरती करने का उद्देश्य नम्र भाव से श्रद्धा पूर्वक भगवान के दिव्य स्वरुप का दर्शन करना है | स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने कहा है कि जो व्यक्ति घी के दीपक से आरती करता है वो कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में निवास करता है |
आरती का अनुष्ठान किसके अंतर्गत आता है?
पूजा, आरती और अनुष्ठान करना भक्ति योग के अंतर्गत आता है जो एक भगवान् की भक्ति के साथ ज्ञान की ओर ले जाता है | आरती करने का उद्देश्य श्रद्धा और नम्रता से देवताओ के सामने भक्ति-भाव को प्रकट करना है | जिसमे भक्त भगवान् के दिव्य रूप में डूब जाते है |
आरती सुबह और शाम दोनों समय की जाती है | आरती की लौ स्थूल और सूक्ष्म शरीर को शुद्ध करती है और तेजी से मस्तिष्क विकास को सक्रीय करती है |
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आरती करने से क्या होता है?
जब हम आरती करते है तो भगवान् की पूरी शक्ति दीपक की लौ में समाहित हो जाती है ऐसा होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है |
आरती का आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व?
आरती को आमतौर पर लोग घी के दीपक और कपूर के साथ देवता के लिए मनाते हैं। यह किसी के जीवन में आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। जब इसे जलाया जाता है, तो कपूर अपने अस्तित्व का कोई निशान छोड़े बिना पूरी तरह से जल जाता है। इस तरह यह किसी के अहंकार या स्वयं के पूर्ण विनाश को चित्रित करता है।
जब कपूर जलता है, यह एक सुखद और सुखदायक सुगंध का उत्सर्जन करता है। अपनी आध्यात्मिक प्रगति में, जब हम गुरु, माता-पिता, बड़ों और समाज की सेवा करते हैं, तो हमें भी स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करना चाहिए। तो इससे सभी में प्रेम की सुगंध फैल जाएगी। इसलिए यह आरती का दार्शनिक महत्व है।
आरती करने के पीछे वैज्ञानिक कारण?
मंदिरों में स्थापित मूर्तियों की आरती के दर्शन करने पर एक दिव्य आभामंडल का आभास होता है | आरती के अंत में, हम अपनी हथेलियों को आरती की लौ के ऊपर रखते हैं, उसके बाद धीरे से अपनी आँखों को स्पर्श करते है ऐसा करते हुए हम मानसिक रूप से प्रार्थना करते है | भगवान् को प्रकाशित करने वाला प्रकाश हमारी बुद्धि को प्रकाशित करता है और हमारी दृष्टि दिव्य बनी रहते है | हमें आरती लेने पर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
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