जानिए पूजा में अक्षत का महत्व
अक्षत का क्या अर्थ होता हैं?
अक्षता शब्द संस्कृत के अक्षत शब्द से बना है जिसका अर्थ है सम्पूर्ण | अक्षत का अर्थ है साबुत चावल | हमारे हिन्दू धर्म में अक्षत एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है और प्रत्येक पूजा में इनका बहुत महत्त्व होता है | अक्षत को कुमकुम और अन्य पूजा सामग्री के साथ उपयोग में लाया जाता है |
अक्षत किसका प्रतीक हैं?
अक्षत समृद्धि का प्रतीक है इसलिए इसका उपयोग धार्मिक उत्सवों, वैवाहिक कार्यक्रमों में किया जाता है | अक्षत दूल्हा और दुल्हन को आशीर्वाद देने के लिए आशीर्वाद स्वरुप इनका प्रयोग किया जाता है | खंडित ( टूटे हुए चावल ) अक्षत का प्रयोग नहीं करना चाहिए | अक्षत को एक पवित्र धान्य माना जाता है |
आप जिन देवताओ की पूजा करते है उनकी सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए अगर आप आधे टूटे हुए अक्षत का उपयोग करने से पूजा अधूरी मानी जाती है |
अक्षत को कहाँ लगाया जाता हैं?
अक्षत को मस्तक पर कुमकुम (कंकु) के साथ लगाया जाता है | अक्षत का प्रयोग ॐ, स्वास्तिक, नवग्रह, और अन्य शुभ प्रतीकों को तैयार करने के लिए किया जाता है |
शास्त्रों में अक्षत को ईश्वर को संतुष्ट करने का मुख्य साधन बताया गया है | सबसे ज्यादा शुद्ध और पवित्र होने की वजह से अक्षत भगवान को अर्पित किया जाता है | भगवान को अक्षत अर्पित करने से पितृ भी तृप्त हो जाते है |
कुमकुम और अक्षत से लगाया गया तिलक सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है | अक्षत लगा तिलक आशीर्वाद स्वरुप माना जाता है |
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भोजन भगवान् की संतुष्टि का साधन हैं माना गया हैं कि शास्त्रों में भोजन सामग्री और हवन पूजन सामग्री में अक्षत को अनिवार्य माना जाता है | हिन्दू संस्कृति में बिना अक्षत के देवी-देवताओ का पूजन संभव नहीं होता है | यह शुभ और मांगल्य का प्रतीक धान है |
हिन्दू समारोहों में अक्षत का महत्त्व
1. अन्नप्राशन संस्कार हिन्दू समारोह में चावल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो एक अनुष्ठानिक शिशु का प्रथम भोजन है | शिशु का अन्नप्राशन संस्कार चावल से बनी खीर से किया जाता है | यह मुँह में रखा जाने वाला पहला ठोस आहार है |
2. कुमकुम अक्षत का तिलक बालको के समृद्ध विकास के लिए भाग्य और आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करता है।
3. दक्षिण भारत में विशेष रूप से पोंगल त्यौहार धान की फसल कटाई पर ख़ुशी के साथ मनाया जाता है |
4. चावल को सबसे शुद्ध अनाज माना जाता है क्योंकि ये धान से प्राप्त होता है | हिन्दू धर्म में पूजा के दौरान चावल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है ऐसी मान्यता है कि यदि पूजा में कोई सामग्री न हो तो चावल उसकी कमी पूरी कर देता है |
5. घर में अन्नपूर्णा माता की प्रतिमा को अक्षत अर्पण करने से जीवनभर धन-धान्य की कमी नहीं होती हैं।
6. चावल बहुत प्राचीन धान्य होने से सारे विश्व में बहुतायत से प्रयोग में लाया जाता है | यह अनेक गुणों से पूर्ण होने के कारण एक महत्वपूर्ण भोजन सामग्री है |
7. कुमकुम और अक्षत से लगाया गया तिलक सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है |
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