साड़ी क्यों पहनते है?
साड़ी भारतीय नारी का आकर्षक गौरवमयी परिधान है | साड़ी का प्रचलन हमारे देश में प्राचीन समय से किया जाता रहा है | हिन्दू धर्म के धार्मिक एवं मांगलिक आयोजनों में साड़ी का विशेष महत्त्व है | यह सभी अवसरों पर महिलाओ के लिए सांस्कृतिक गरिमामयी परिधान है |
साड़ी पहनने पर महिलाओं की सुंदरता बहुत बढ़ जाती है | सभी वर्गों की महिलाये साड़ी को बड़े चाव से धारण करती है |
संस्कृत में साड़ी का मतलब कपडे की पट्टी (strip of cloth) होता है | यह बिना सिला वस्त्र होता है | साड़ी महिला को सुन्दर बनाती है और इसे किसी भी अवसर पर पहन सकते है |
साड़ी कई तरह से कपड़े जैसे सूती, रेशमी, कोसा, चंदेरी, आदि से बनाई जाती है | साड़ी विभिन्न क्षेत्रो की संस्कृति की परिचायक है इसमें उस क्षेत्र की कला एवं हस्तशिल्प की झलक दिखाई देती है |
देश के सभी राज्यों में साड़ी पहनने का तरीका अलग-अलग होता है | बनारस की बनारसी साड़ी जिसमे ज़री के कलात्मक बेल-बूटे बने होते है | गुजरात की पटोला साड़ी, महाराष्ट्र की पैठनी, दक्षिण भारत की कांजीवरम सिल्क, राजस्थान की बन्देज लहरिया साड़ी बहुत लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध है |
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साड़ी पहनने के लाभ
- साड़ी हमारी सेहत के लिए भी काफी लाभदायक है | हम साड़ी को पहनते है तो हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है तन-मन प्रसन्नता का संचार होता है |
- साड़ी शरीर की शोभा बढ़ाने से साथ सेहत के लिए भी लाभदायी है |
- साड़ी भारतीयता का परिचायक होने के साथ हमारे हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा देती है |
- अनेक बुनकरों कलाकारों को अपनी कला दिखने का अवसर मिलता है एवं उन्हें रोजगार भी मिलता है |
- साड़ी पहनने से शरीर में वायु का संचार होता है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है |
- साड़ी पहनने से शारीरिक गतिविधियाँ सुचारु रूप से सक्रिय रहती है |
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साड़ी कई प्रकार की होती है जैसे –
- कांजीवरम साड़ी
- नौवारी सारी
- बांधनी सारी
- टैंट साड़ी
- बनारसी सारी
- चिकनकारी साड़ी
- बोमकई साड़ी
- चंदेरी साड़ी
- कसवु साड़ी
- मुगा साड़ी
- फुलकारी साड़ी
- पोचमपल्ली साड़ी
साड़ी पहनने से महिला के व्यक्तित्व ( personality ) पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है | साड़ी पहनने पर महिलाये तथा युवतियाँ काफी आकर्षक दिखाई देती है |
आधुनिक महिलाये साड़ी की जगह पाश्चात्य परिधान अधिक पसंद करने लगी है | साड़ी का प्रयोग विशेष धार्मिक, आयोजन, त्यौहार आदि पर ही करती है |
साड़ी महिला को पूरी तरह बदल देती है वह खूबसूरत और शालीन दिखने लगती है | साड़ी महिला की पूरी भाव भंगिमा ( बॉडी लैंग्वेज ) को बदल देती है, इनके उठने बैठने का तरीका, चलने फिरने का तरीका सब बदल जाता है |
सभी भारतीय हिन्दू नारियो को साड़ी पहनने के महत्त्व को समझना चाहिए | साड़ी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है |
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