चरण स्पर्श करने की परंपरा हिन्दू संस्कृति में सदियों से चली आ रही है | हम अपनों से बड़ो का आदर और सम्मान व्यक्त करने के लिए चरण स्पर्श करते है | सनातन धर्म में अपनों से बड़ो के आभार के लिए चरण स्पर्श उत्तम माना जाता है | चरण स्पर्श और चरण वंदना हमारी भारतीय संस्कृति में सभ्यता और सदाचार का प्रतीक है |
बड़ो के चरण स्पर्श क्यों करना चाहिए?
बड़ो के चरण छूना हमारी सदियों पुरानी भारतीय परम्परा है जिसे सम्मान का एक प्रतीक माना जाता है भारत में ही नहीं विदेशो में भी यह भाव लगभग सभी हिन्दू परिवारों में देखा जा सकता है | बॉलीवुड फिल्मो और दैनिक धारावाहिको में भी ये प्रथा दर्शाती जाती है |
भारतीयों का यह मानना है कि जब कोई व्यक्ति झुकता है और बड़ो के चरण को छूता है तो उनका अहंकार दब जाता है | यह उस व्यक्ति की उपलब्धियों, उम्र, अनुभव तथा ज्ञान को सम्मान करने का संकेत देता है | तब सम्मानित व्यक्ति पैर छूने वाले को आशीर्वाद देता है |
चरण छूने का सही तरीका क्या है?
आपको अपने बड़े और सम्मानित व्यक्ति के चरण छूने के लिए आपको अपने घुटनो को झुकाए बिना अपने ऊपरी शरीर को उनके सामने मोड़ना होगा | बांहो को समान्तर रखे और इस तरह से फैली होनी चाहिए कि आपका दाहिना हाथ आपके बड़ो के बाएँ पैर को छुए और बांया हाथ बड़ो के दाहिने पैर को छुए | उसके बाद आपके बड़ो को अपने दाहिने हाथ से सर के शीर्ष को छूना चाहिए और आपको आशीर्वाद देना चाहिए |
हिन्दू संस्कृति में चरण स्पर्श करने की परंपरा है | यह धार्मिक आयोजनों, अतिथि सत्कार, ऋषि मुनियो, पूजा अर्चना, वरिष्ठ परिजनों के सम्मान में चरण स्पर्श की परंपरा है |
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प्रत्यक्ष तथा परोक्ष (direct or indirect) चरण छुने के कई फायदे है |
1. लक्ष्यों की प्राप्ति –
ऐसा माना जाता है कि आप किसी शुभ कार्य के लिए जा रहे हो तो और अपने वरिष्ठ परिजनों का चरण स्पर्श करने पर आपकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है |
2. यह रक्त परिसंचरण में सुधार करता है –
आगे की ओर झुकने से सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है जो सेहत के लिए फायदेमंद है |
3. विनम्रता का सूचक –
चरण स्पर्श करने की प्रथा यह है कि आप पूरी श्रद्धा के साथ किसी के आगे नत-मस्तक हो इससे विनम्रता आती है | मन को शांति मिलती है साथ ही चरण स्पर्श करने वाला अपने आचरण से आपको प्रभावित करता है |
4. आध्यात्मिक लाभ और मानसिक लाभ –
जब हम किसी आदरणीय व्यक्ति के चरण छूते है उनका हाथ आशीर्वाद के तोर पर हमारे सिर के ऊपरी भाग को स्पर्श करता है | इससे उस पूजनीय व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा आशीर्वाद के रूप में हमारे शरीर में प्रवेश करती है |
सिर को उत्तर ध्रुव और पेरो को दक्षिणी ध्रुव माना जाता है | चुम्बकीय प्रवाह हमारे उत्तरी ध्रुव से प्रवेश करके हमारे दक्षिणी ध्रुव की और प्रवाहित होकर अपना चक्र पूरा करती है | उसी प्रकार हमारे शरीर में सिर से यानि उत्तरी ध्रुव से सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करके पैरो यानी दक्षिणी ध्रुव की और प्रवाहित होती है |
दक्षिणी ध्रुव में ऊर्जा असीमित मात्रा में स्थिर हो जाती है | पैरो की और ऊर्जा का केंद्र बन जाता है | पैरो से हाथों द्वारा इस ऊर्जा को ग्रहण करने को चरण स्पर्श कहते है |
मान्यता है कि बड़े बुजुर्गो के चरण स्पर्श नियमित रूप से करने से कई प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते है | बुजुर्गो के दिल से निकली दुआओ से आप वो सब पा सकते है जो शायद आपकी किस्मत में भी नहीं है |
चरण स्पर्श करना एक प्रकार का सूक्ष्म व्यायाम है चरण छूने से शारीरिक कसरत होती है पैर छूने से, घुटनो के बल प्रणाम से या साष्टांग दंडवत प्रणाम से शरीर लचीला बनता है |
प्रणाम करने का एक और फायदा यह भी है कि इससे हमारा अहंकार दूर होता है |
हमारी भारतीय हिन्दू संस्कृति में चरण स्पर्श करना एक गरिमामयी परंपरा है | इसका पालन सभी को करना चाहिए |